घर में खैर ओ बरकत की दुआ

घर में खैर ओ बरकत की दुआ

Ghar Mein Khair O Barkat Ki Dua

घर में खैर ओ बरकत की दुआ – Ghar Mein Khair O Barkat Ki Dua, खैर-ओ-बरकत का साधारण बोलचाल का अर्थ सबकुछ खैरियत, तरक्की और रोजी-रोजगार में बरकत से है। मुस्लिम समाज में इसके लिए अल्लाह से नेक नियत के साथ इबादत की जाती है।

कुछ खास पर्व के मौके पर मन्नत भी मांगी जाती है। जैसे शबे बारात के मौके पर मसजिदों और घरों में मागफिरत की दुआएं की जाती हैं। रोजे रखे जाते हैं,

घर में खैर ओ बरकत की दुआ

घर में खैर ओ बरकत की दुआ

कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों के लिए दुआएं भंगी जाती है। पुरुष मस्जिदों में इबादत करत गुनाहों से तौबा करते हैं, जबकि औरतें घरों में रहकर खैरियत की दुआएं मांगती हैं।

इस दौरान कुरान शरीफ की तिलावत होती है। यानी के घर में अगर किसी तरह की परेशानी को दूर करने में विफल हो रहे हैं या कारोबार में बरकत नहीं हो पा रही है तो उससे संबंधित कुरानी वजीफा पढ़ना चाहिए।

रोजी-रोजगार की खैरो बरकत

घर-परिवार में खैरो बरकत तभी बनी रह सकती है जब कारोबार में तरक्की बनी रहे। रोजी-रोटी में कोई बाधा नहीं आने पाए। यदि कोई व्यक्ति अपनी दुकान चलाता है तो उसे तरक्की के लिए दुआ और ताबीज का प्रयोग निम्न प्रकार से करना चाहिए। 

  • दुकानदार मौलवी द्वारा बताए गए वजीफे को एक सफेद कागज पर उर्दू में 33 बार लिखकर फ्रेम करवा लें। उसके बाद उसे दुकान के दरवाजे में लटका दें। इंशा अल्लाह ताला इसके लटकाए जाने के बाद खरीददार का आना शुरू हो जाएगा। माल बिकने लगेगा। इसे मकान या फैक्ट्री में भी लटकाया जा सकता है।
  •  इससे हर तरह की मुसीबत टल जाएगी और घर में भी बरकत होगी और  इस ताबीज को सा’अत-ए-मुश्तरी के समय में बनाएं। यह जुमेरात के रोज तुलउ-ए-आफताब से लेकर तकरीबन एक घंटे के दौरान मुश्तरी की साअत बनी रहती है। ताबीज बनाने का यह वक्त बहुत माकूल होता है। 
  • ताबीज बनानंे के लिए इस्तेमाल किया कलम जो भी पाक-साफ होना चाहिए। वह सरकंडे की कलम हो तो और भी अच्छा है। कागज में काली स्याही से एकदम साफ-साफ लिखा होना चाहिए। इसे घर में भी दीवार पर लटकाया जा सकता है, लेकिन उससे पहले इसका लेमिनेशन जरूर करवा लें। 
  • जो कोई इसे नहीं लिख सकते हैें वे इस्लामी इबादत की धार्मिक किताबों और दूसरे सामानों की दुकानों से इसे छपा हुआ खरीद सकते हैं। 
  • अमल की हिदायतः इस कुरानी वजीफे से बनी ताबीज को ऐसी जगह लगाया जाना चाहिए जिस और पैर नहीं जाए। 

करोबार में बरकत 

कारोबार चाहे जैसा भी हो। छोटी सी दुकान से लेकर बड़ी फैक्ट्री या फिर खाने-पीने के रेस्तरां वगैरह। इसे खोलने से पहले सुबह यानी फजीर की नमाज पढ़ने के बाद सुरह नासर को 141 बार पढ़ें। उससे पहले और अंत में 11-11 बार दारूद शरीफ पढ़ें।

उसके बाद एक ग्लास पानी में दम करें और उसमें गुलाब की पंखुड़ियां डाल दें। उस पानी के ग्लास को तबतक सुरक्षित स्थान पर ढंक कर रख दें जबतक कि आपको सफलता नहीं मिल जाती है। 

उसके बाद जब भी दुकान के दरवाजे को खोलें एक ही सुरा को 41 या 11 बार दोहराएं। दुकान में प्रवेश करने के बाद चारों दीवारो की ओर ग्लास में दम का थोड़ा पानी छिड़क दें।      

 तंगहाली खत्म करने की दुआ

सामान्य मध्यवर्गीय परिवार में तंगहाली बनी रहती है। नौकरीपेशा वाले हों या फिर अपना कारोबार करने वाले उनके पास पैसे आते-जाते रहते हैं। कई बार काम किए हुए पैसे अटक जाते हैं या फिर महंगाई और खर्च की वजह से इतने पैसे भी नहीं टिक पाते हैं कि मुसीबत के वक्त के लिए बचाकर रखे जा सकें।

तंगहाली के दौरान इंसान की हालत क्या होती है इसको सिर्फ वही जान सकता है जिस पर गुजरती है। तभी तो इंसान मजबूर और पागलों जैसी हालत में भी आ जाता है। वैसे लोगों के वास्ते रिज्क के लिए दुआ दी गई है। 

वह दुआ इस प्रकार है- अस्सलामुअलैकुम वाराह्मतुल्लाह। इसके अमल के बारे में हजरत इसोहेल बिन सादरअ का कहना है कि अपनी गुरबत में जब भी अपने घर में दाखिल हों, तो इस दुआ को कम से कम 7 मरतबा पढ़ें। 

चाहे घर में कोई हो या न हा दुरूद ओ सलाम और सुरह इखलास जरूर पढ़ें। कहते हैं ऐसा करने से अल्लाताला इतनी बरकत देते हैं कि वह उसमें से जरूरतमंद पड़ोसियों या रिश्तेदारों के बीच बांट भी सकता है। 

बेरोजगारी दूर करने का वजीफा

कई लोगों को रोजगार में नुकसान उठाना पड़ता है तो कुछ लोगों को बेरोजगारी की मार झेलनी पड़ती है। या फिर मन के मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती है। ऐसे लोगों के लिए नीचे दिए गए आयत को नियम से पढ़ना चाहिए और अल्लाताल से दुआ करनी चाहिए। वह आयत इस प्रकार है-

 सुबहानल्लाही वबी हमदिही सुबहानल्लाह

हिल अजीम वबी हमदी ही अस्तगफेरुल्लाह।

इसे पढ़ने के बारे में रसूल सल्ललाहो अलय्ही वस्सलम ने फरमाया है कि इसे हर रोज फजीर का नमाज पढ़ने के बाद 100 बार पढ़ना चाहिए। इससे पहले वजू बनाकर दरूदे शरीफ को 11 बार पढ़ना चाहिए।

उसके बाद अल्लाताल से दुआ करनी चाहिए। उनसे अपनी बदहाली की गुजारिश करनी चाहिए। कहना चाहिए कि मैं बहुत गरीब हो चुका हूं। तंगहाली से परेशान हूं। इतनी दुआ के बाद एक बार 11 मरतबा दरूदे शरीफ को पढ़ना चाहिएं। 

घर की बरकत

हर व्यक्ति चाहता है उसे घर की बरकत हो। घर में सुख-शांति रहे। बर-बीमारी कभी छूने तक नहीं पाए और आमदनी का नियमित जरिया बना रहे। परिवार में बच्चों की पढ़ाई और लड़कियों की शादी-व्याह में कोई अड़चन नहीं आने पाए।

इसके साथ ही हर व्यक्ति चाहता है कि उसे अच्छी से अच्छी लाइफस्टाल की जिंदगी मिल उच्च स्तरीय रहन-सहन की सुख-सुविधा मिले। इसक लिए पूरी जिंदगी पैसे के पीछे भागना पड़ता है और कड़ी मेहनत करनी होती है। इसमें बाधा आने की स्थिति में घर में बरकत का वजीफा पढ़ना चाहिए।

इसके अल्फाज पढ़ने की पूरी जानकारी किसी जानकार मौलवी से कर लेना चाहिए। इसे फजीर की नमाज के बाद 111 बार रोजाना पढ़ें और एक ग्लास पानी में दम करने के बाद परिवार का जो काई सदस्य समस्या से घिरा हो उसे पीने के लिए दे दें। यह दुआ बीमारी, नौकरी या शादी में देरी को ठीक करने में बहुत उपयोगी है।

Ghar Mein Khair O Barkat Ki Dua, hamare kai pathako ne hamse pucha hai ki ghar mein khair o barkat ke liye kya padhna chahiye isliye hum aaj ye apko bata rahe hai ki ghar mein khair o barkat kaise aati hai. aap hamari ye ghar main khair o barkat aane ka wazifa roj padhe, ise ghar mein khair o barkat hone ki dua bhi kahate hai. aaj hamne aapke question ghar mein khair o barkat ke liye koi dua bataye or ghar mein khair o barkat ke liye kya karen ka jawab molana se puchkar yaha diya hai ise he ghar mein khair o barkat ki surat kahate hai.

कर्ज से निजात पाने की दुआ

Review घर में खैर ओ बरकत की दुआ.

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *