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तलाक से बचने का वजीफा
Talaq Se Bachne Ka Wazifa
तलाक से बचने का वजीफा – Talaq Se Bachne Ka Wazifa, किसी भी दंपति के लिए तलाक बहुत ही बुरा होता है और इससे हर शख्स बचना चाहता है। तलाक मिंया और बीवी दोनों को तन्हा बना देता है। कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता है।
सबको हमेशा एक साथी की जरूरत होती है। तलाकशुदा औरत हो या फिर तलाकयाफ्ता मर्द दोनों ही तलाके के प्रभाव में आने पर मानसिक तनाव से घिर जाते हैं। वैसे शौहर हो या बीवी दोनों में से कोई एक ही शख्स तलाक चाहता है, दूसरे को उसके सामने झुकना पड़ता है।
तलाक से मुसीबतों का आमंत्रण
शौहर द्वारा बीवी को तलाक दिए जाने के दौरान या फिर उसके बाद दंपति को कई तरह के मुश्किलातों से गुजरना पड़ता है। जैसे शौहर का बीवी से दूर हो जाना। बीवी को बच्चों से अलग हो जाने का डर।
उसके अपने घर छूटने, पैसों की तकलीफ, या फिर दोबारा निकाह में मुश्किलों जैसी एक पर एक कई समस्याएं आ जाती हैं। पारिवारिक और सामाजिक मान-मर्यादा पर अंाच आ जाती है। यह कहें कि तलाक शौहर और बीवी, दोनों के लिए मुसीबतों को आमंत्रण देने जैसा होता है।
इन सबसे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि दांपत्य जीवन में मिंया-बीवी के बीच किसी भी सूरत में संबंध-विच्छेद नहीं होने चाहिए। इससे बचने के लिए इस्लाम में बताए गए कुरानी वजीफे का नेक नीयत के साथ अमल करना चाहिए।
यदि किसी औरत को लगे कि उसके शौहर के साथ रिश्तों में तनाव बढ़ गया है, या फिर उनके दांपत्य जीवन में किसी दूसरी औरत के आने से रिश्ते बिगड़ रहे हैं, तब उसे तलाक के वजीफे पर अमल करने की शुरूआत कर देनी चाहिए।
तलाक से बचने का यह सबसे अच्छा तरीका हो सकता है, जिससे शौहर या बीवी के दिमाग में कभी भी तलाक की बात नहीं आती है। वे आपस में बेपनाह मोहब्बत करने लगते हैं।
तलाक की वजहें
कई बार मर्द तैश में आकर अपनी बीवी को तीन तलाक कह देता है और एक झटके में सालों साल का कायम रिश्ता टूट जाता है। या फिर कुछ बीवियां भी अपने शौहर की खामियों को नजरंदाज नहीं कर पाती हैं और उनसे अलग रहने की जिद पर अड़ जाती हैं।
ऐसे हालात में खुद को महफूज रखने के लिए तलाक नहीं होने का वजीफा इस्तेमाल करना चाहिए। यह वजीफा गुस्से में आकर किसी को तलाक देने से रोक देगा। मिंया-बीवी के बीच आपसी लड़ाई-झगड़े भी खत्म हो जाएंगे।
तलाक रोकने का वजीफा
इस्लाम में तलाक रोकने के लिए हर शाम नमाज के बाद और मगरीफ की नमाज से पहले नीचे दिए गए दुआ को 40 मरतबा पढ़ने का सुझाव दिया गया है। दुआ है- या अल्लाह हुधा अल्फास। इसका सिलसिलेवार ढंग से अमल का तरीका इस तरह होना चाहिए –
- इस वजीफा को पढ़ने से पहले जरूरी हिदयात के तौर पर खुद को पाक-साफ करना जरूरी है। जिसमें साफ कपड़े पहनना और वजीफा पढ़ने की जगह पूरी तरह से पाक-साफ रखना आदि मुख्य है।
- जिस दंपति के रिश्ते के लिए वजीफा किया जाना है, उन दोनों का कोई सामान एक साथ हाथ में पकड़े रहें। इसमें कपडा़, जेवर या एक-दूसरे की पसंद के खाने-पीने की कोई वस्तु हो सकती है।
- वजू बनने के बाद पहले तीन बार दरूर शरीफ पढ़ें। फिर तलाक रोकने का वजीफा स्पष्ट उच्चारण के साथ 40 बार पढें। उसके बाद दुरूद शरीफ को फिर से तीन बार पढ़ें। अंत में हाथ में रखे हुए सामान पर फूंक मारें यानी दम करें। यदि वह वस्तु पहनने की है, तो उसे उसी रोज पहन लें या अपने साथी पर पहनने का दबाव बनाएं। खाने की वस्तु को दंपति अपने रात के भोजन में शामिल कर लें। इसे लगातार 21 दिनों तक किया जाना चाहिए।
शादी को बचाने की दुआ
मिंया और बीवी को अपने जीवन में हमेशा तलाक जैसी नौबत आने से बचना चाहिए। कई बार उनके बीच झगड़ा-झंझट काफी हद तक बढ़ जाता है और इस दौरान यह जरूरी नहीं है कि गलती बीवी की ही हो।
कभी शौहर की भी गलती हो सकती है, पर इसका खामियाजा सिर्फ उनकी बेगम को ही भुगतना पड़ता है। लोग सोचते हैं कि तलाक के बाद लाइफ आसान हो जाएगी, जबकि ऐसे लोगों का यह सोचना बिल्कुल गलत हो सकता है।
तलाक के बाद वे मामले और भी खतरनाक हो सकते है, जिनकी वजह से तलाक होता है। जिंदगी को जीते जी जिल्ल्त से बचाने का संबंध शादी को महफूज रखना और तलाक से बचना है। इसलिए हर शादीशुदा और को चाहिए वह अपनी शादी की हिफाजत का वजीफा पढ़े।
इससे शौहर के दिमाग पर सीधा असर होता है और इसके प्रभाव से उसके दिमाग को बदला जा सकता है। यानी कि इस वजीफा से औरत अपने नाराज शौहर को सही रास्ते पर ला सकती है। इसका तरीक निम्न प्रकार से होना चाहिए-
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- इस पाक वजीफा को कम से कम 21 दिन और अधिक से अधिक 41 दिनों तक करना है। इसे अगर मागरीब की नमाज के बाद करना ज्यादा बेहतर होता है। इस वजीफा के अमल का यही सबसे अच्छा समय माना गया है।
- सबसे पहले साफ और घुले कपड़े पहनें और वजु कर खुद को पाक-साफ कर लें। उसके बाद तीन बार पाक दुरूद शरीफ पढ़ें।
- फिर वजीफा बिस्मििल्लाह हिर रेहमाने निर रहीम को 1100 बार पढ़ें। इसकी आवाज आपके दिल से निकलनी चाहिए। फिर से तीन मरतबा पाक दारूद शरीफ को पढ़ें। साथ ही जेहन में अपने शौहर के बारे में ही सोचें।
- अंत में अल्लाहताल से माफी मांगें। अपनी समस्याओं का जिक्र करें और अपने गुनाहों के सुधार के लिए दुआ करें। इस दौरान आंखों से निकलने वाले भावनात्मक आंसूं को निकल जाने दें। इसके साथ ही अपने शौहर इस दुआ के पूरा होते – होते आपमें सकारात्मक सोच का संचार होगा। अच्छी-बुरी बातों को लेकर बहस नहीं होगी, बल्कि शौहर को घरेलू समस्याओं का सुधार करने के लिए प्रेरित करने में सफल होंगे।
- हिदायत के तौर पर औरत महवारी के दौरान इस वजीफा को नहीं करें।
तलाकयाफ्ता की निकाह
तलाक हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि शौहर-बीवी आजीवन तन्हा जीवन ही गुजारे। उनकी इस मुसीबत का तोड़ भी है। इसके लिए किसी अच्छे मौलाना से संपर्क कर उनसे पूरी बात बतानी चाहिए।
तलाकयाफ्ता की दोबारा निकाह के लिए वजीफ और दुाअ के जो उपाय बताए गए हैं उसे अपनाना चाहिए। इससे नया रिश्ता ढूंढने से लेकर उसकी हिफाजत करने में भी मदद मिल सकती है।
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