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मुकदमा जीतने के लिए दुआ
Mukadma Jitne Ke Liye Dua
मुकदमा जीतने के लिए दुआ – Mukadma Jitne Ke Liye Dua, मुकदमा चाहे जैसा भी हो, छोटा या बड़ा, उसे किसी भी सूरत में अच्छा नहीं माना गया है। इस दौरान लगने वाला कोर्ट-कचहरी का चक्कर अच्छे से अच्छे व्यक्ति को परेशानी में डाल देता है। इसकी सुनवाई तारीख-दर-तारीख होती रहती है।
महीने-दर-महीने होने वाली पेशी पर पेशी जारी रहती है, लेकिन मुकदम जीतने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती है। इस तरह के मुकदमे में फंसा हुआ कोई शख्स अदालत में रियायत के लिए अर्जी की कामयाबी चाहता है।
मुकदमा हर हाल में जीतना चाहता है। इसमें यदि कामयाबी नहीं मिल पा रही हो तो कार्ट केस में मुकदमा जीतने के लिए कुरानी वजीफे से काफी मदद मिलती है।
नेक नीयत के साथ वजीफा पढ़कर अल्लाहताला से मुकदमा में फौरी जीत की कामयाबी हासिल की जा सकती है। यही नहीं जो कोई मुकदमे की वजह से जेल जाने की स्थिति में हो वह जेल जाने से बच सकता है। तकतवार वजीफ इस प्रकार है-
बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीम, सल्लाहु अलयाहे वासल्लाम
इस दुआ को आरोपी के दोस्त या परिवार के सदस्य पढ़ सकते हैं और उसे जेल जाने से रोका जा सकता है। यदि कोई मुकदमे में नाजायज फंसाया गया है इसमें निश्चित तौर पर आपकी जीत होगी। इसे अमल में लाने का बेहतर तरीका निम्नलिखित है-
- हर रोज सुबह फजिर में यानी सूरज उगने से पहले और फजिर के वक्त की नमाज पढ़ने के बाद मुकदमा जीतने की दुआ को पढ़ना चाहिए। इसके अतिरिक्त मुकदमा जीतने की दुआ को कम से कम 11 दिन और अधिक से अधिक 40 दिनों तक पढ़ना चाहिए। मंगलवार या शनिवार को छोड़कर इसकी शुरूआत किसी भी दिन की जा सकती है। वैसे जबतक मुकदमे की जीत नहीं हो जाए जब तक इसे अमल को करते रहना चाहिए।
- ताजा वजु बना लें और साफ बिछाए चादर पर अदालत की दिशा में मुंहकर बैठ जाएं।
- सबसे पहले दारूदे शरीफ 11 मरतबा पढ़ें।
- उसके बाद कुरान-ए-करीम की सुराह फतह और सुराह तूर दोनों को एक-एक बार पढ़ें। उसके बाद मुकदमा जीत के लिए ऊपर की दुआ को 111 बार पढ़ें। इसे पूरा होने के तुरंत बाद अखिर में फिर से दुरूद शरीफ को 11 मरतबा पढ़ें।
- फिर दोनों हाथ ऊपर उठाकर अल्लाहताला से खूब रो-रोकर मुकदमा जीतने की दुआ करें। इंशा अल्ला केस का फैसला आपके हक में होगा और जीत आपकी होगी।
जरूरी हिदायतः मुकदमा जीत में वजीफा पढ़ने संबंधी कुछ जरूरी हिदायतें भी दी गई हैं, जिसका कुरान शरीफ के कायदे से पालन किया जाना चाहिए। वे इस प्रकार हैं-
- मूल मकसद इस अमल के साथ-साथ यदि आप चाहें तो कोर्ट की सुनवाई की तरीख पर जाने से पहले जितनी अधिक तायदाद हो सके या मलिकुल करीम पढ़ते रहें। यह कहें कि इस कुरान के पाक अल्फाज को को मन ही मन में लगातर पढ़ते रहें। यहां तक कि कोर्ट में बैठे हैं तब भी इसे पढ़ते रहें। अल्लाह का प्यारा नाम अफजल-ओ-आला है। उनका नाम लेने से मुकदमा जीतने में आपको गजब की मदद हासिल होगी।
- एक औरत एक मां भी है और किसी की बीवी भी वह भी औलाद या शौहर के खिलाफ चल रहे मुकदमे को जीतने के लिए अल्लाह से फरियाद कर सकती हैै। उसे सिर्फ अपनी माहवारी का ध्यान रखना है और इस दौरान दुआ को नहीं पढ़ना है।
- पारा 15 सुराह बानी इस्राली की आयत 81 को 313 मरतबा पढ़कर दुआ करने से इंशा अल्लाह कामयाबी होगी। लेकिन नाहक और नाजायज मुकदमा के लिए इसे हरगिज नहीं पढ़ें। ऐसा कर मुसीबत मोल ले सकते हैं और आपकी ही गिरफ्तारी हो सकती है।
- वजीफा पढ़ने से पहले नमाज को पढ़ना जरूरी है। इससे बड़ा कोई वजीफा या इससे बेहतर कोई भी अमल नहीं होता है।
- जिस वजीफा को जितनी बार कहा गया है, उसे उतनी ही बार पढ़ें। उससे न कम और न ज्यादा। इसी तरह से किसी वक्त का मुकर्रर किया है तो उसी वक्त में पढ़ें।
कोर्ट केस जीतने की दुआ
बहुत से लोगो के साथ ऐसा होता है कि वह किसी को पैसा या अपना कोई सम्पति कुछ समय के लिए उधार दे देते है। या कहें कि उसके पास गिरवी रख देते हैं। जब जब उनसे अपना बहमूल्य सामान या सम्पति को मांगते है, तो वह वापस करने से इनकार कर देता है, जिससे वह व्यक्ति परेशान हो जाता है
कोर्ट में केस यानी कि मुकदमा कर देता है। वह कोर्ट का चक्कर हमेशा लगता रहता है। वह केस को जीतने के लिए वकील का भी सहयता लेता है, फिर भी उसके कोर्ट केस में जीत नहीं मिल पाती है, जिससे कि वह परेशान हो जाता है। वैसे व्यक्ति को अपने मुकदमे में जीत के लिए ऊपर बताए गए मुकदमा जीत की दुआ करनी चाहिए।
बिना वजह फंसाया गया केस
कई बार लोग बिना वजह ही किसी कोर्ट केस में फस जाते है, जिसे की वह कोर्ट का चक्कर लगते रहते है। अपना सारा समय भाग दौड़ में ही लगा देते हैं। जब किसी का झगड़ा आपसी सहमति से दूर नहीं होता है, तो वह एक-दूसरे पर केस कर देते हैं और कोर्ट का चक्कर लगाते रहते हैं,
जिसका ज्यादा पहचान होता है. या जिसके पास पैसा ज्यादा होता है वह आसानी से अच्छा वकील कर लेता है। कोर्ट केस को अपने पक्ष में करने का प्रयास करता है, लेकिन एक साधारण सा गरीब आदमी ऐसा नहीं कर पाता है। उसके अपने मुकदमे को जीतने के लिए वजीफे ही सहारा बनता है।
इन दोनों अदालती मामले में वजीफे की अमल को सिलसिलेवार तरीके से पढ़ने पर अल्लाताल हक में फैसाला सुनाने की मदद करते हैं। यह नहीं भूलें कि कुरान की आयतों के अल्फाज में बहुत ताकत होती है। उनका स्पष्ट उच्चारण का दूरगामी असर होता है।
- इसे दिन के किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, लेकिन इसकी शुरूआत शनिवार और मंगलवार को छोड़कर किया जाना चाहिए।
- सबसे अच्छा समय सूर्योदय से पहले है। पहली नमाज के बाद वजू बना लें और बाद 11 बार दरूद शरीफ को पढ़ें।
- फिर कुरान के सुराह फतह और सुराह तूर को एक-एक बार पढ़ें। उसके बाद ऊपर बताए गए दुआ को 111 बार पढ़ें। अंत में एक बार फिर से दुरूदे शरीफ को 11 मरतबा पढ़ें।
- उसके बाद अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर अल्लाताला से दुआ करें। साथ ही सुनवाई के दौरान या मल्लिकुल करीम मन में ही बोलते रहें।
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