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लड़का बेटा होने की दुआ
Ladka Beta Hone Ki Dua
लड़का बेटा होने की दुआ – Ladka Beta Hone Ki Dua, वैसे तो आज का आधुनिक समाज बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझता है, लेकिन हकीकत कुछ और है। यह बात सदियों से चली आ रही है कि बेटा से वंश चलता है,
जबकि बेटी से एक अलग परिवार और समाज बनता है। बेटी वंश को बढ़ने में अहम भूमिक निभाती है। प्रत्येक दंपति की संतान को लेकर पहली ख्वाहिश बेटे की होती है। वह बेटी की तमन्ना भी रखता है, लेकिन बेटे की चाहत को सबसे पहले पूरा करना चाहता है।
जब किसी दंपति को विवाह के बाद कई सालों तक संतान नहीं होता है तो वे अल्लाह के दरवार में जाकर दुआएं करते हैं। उनकी दुआएं अक्सर लड़के को लेकर होती है।
कुरान के अहलेबैत की हदीसों में बेटा होने के बारे मे कई बातें बताई गई हैं। उसमें कहा गया है कि अगर कोई इंसान या कहें दंपति चाहता है कि उसकी संतान लड़का ही हो तो इसके लिए कई हदीसें दी गई हैं।
वैसे दंपति को किसी अच्छे मौलवी से मिलकर उस बारे में मुकम्मल जानाकरी लेनी चाहिए और लड़का-लड़की में फर्क किए बगैर नेकनीयत के साथ पहले निम्न काम करे। जैसे-
- सबसे पहले दंपति एक-दूसरे से बेपनाह मोहब्बत बनाए रखें और होने वाली संतान का नाम मोहम्मद या अली रखें। यह फरमान पैगम्बरे इस्लाम का है। यह काम गर्भावस्था के बाद किया जाना चाहिए। ऐसा करने पर अल्लाह उसे बेटा ही देगा।
- जिस व्यक्ति की पत्नी चार माह की गर्भवती हो, तो वह कबिले की तरफ चेहरा करके खड़ा होकर आयतुल कुर्सी पढ़ें। अपनी पत्नी के पहलू पर हाथ रखे और कहे कि या खुदाया मैंने अपने होने वाली संतान का नाम मोहम्मद रखा है।
- अल्लाह से इस तरह की आरजू करने पर जन्म लेने वाले संतान को बेटा ही बनाएगा। अगर खुदा ने अपने वादे, यानी मोहम्मद वाले नाम पर अमल किया गया तो हुआ तो उसका नाम मोहम्मद ही रखें। ऐसा होने पर अल्लाह उसको बरकत का जरिया बना देगा। ध्यान रहे कि अल्लाह के हाथ मे ही है कि वह उसको जीवित रखे या वापस ले ले।
- इमाम जाफर सादिक(अ) की रिवायत में बेटा होने के लिये जिन चीजों का बयान किया गया उन पर अमल करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अल्लाह के हर काम पर विश्वास किया जाए।
- समाज और परिवार में सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलने वाले दंपति की दुआएं खुद अवश्य स्वीकार करते हैं और होने वाली संतान बेटा होता है।
- इसके साथ ही यह भी याद रखना चाहिये कि हर कार्य केवल दुआ से नहीं होता है, बल्कि उसके कुछ दूसरे कारण भी हुआ करते हैं। इसलिए बेटे की चाहत रखने वाले माता-पिता को अल्लाह से अपनी होने वाली संतान की सलामती और स्वस्थ की भी दुआ करनी चाहिए।
- रिवायत में कहा गया है कि जब भी इमाम जैनुल आबेदीन (अ) को औलाद होने की सूचना दी जाती थी तो वह यह नहीं पूछते थे कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की बल्कि पूछा करते थे कि होने वाला बच्चा स्वस्थ है और उसमें को ऐब तो नहीं है? अगर कहा जाता कि हां बच्चा स्वस्थ है, तो फरमाते थे- अल्लाह का शुक्र है कि जिसने मुझ से ऐबदार बच्चा पैदा नहीं किया।
- अगर किसी दंपति को लड़का नहीं पैदा हो रहा हो, तो उसे नौ महीने तक नीचे दिए गए आयत को रोजाना 111 बार पढ़ना चाहिए। आयत है- वा युमदिदकुम बेमवालिन वा बनिना वा याजल लकुम जन्नहतिनव , वा याज-अल्लाकुम अंहारा।
- लड़का पैदा होने के लिए कोई भी अमल करने से पहले अव्वल और आखिर में दरूदे शरीफ पढ़ें। इसके साथ ही पांचों वक्त का नमाज भी पूरी पाबंदी के साथ करें।
- अगर किसी औलाद पैदा होते ही मर जाती हो तो या औलाद पैदा होने की सभी उम्मीदें खत्म हो गई हों तो ग्यारह दिनों तक एक उपाय करें। एक दिन में तीन बार बादाम पर दुआ को पढ़कर दम करें। एक बादाम बीवी को खिलाएं और दो शौहर खुद खा लें।
- नेक औलाद के लिए दंपति को हर साल एक बकरा जिब्हा करके अल्लाह ताला के नाम पर पकाकर लोगों के खिलाना चाहिए। इससे इंशा अल्लाह लड़के को लंबी उम्र देंगे।
लड़का पैदा होने की पावरफुल दुआ
निःसंतान दंपति का औलाद के लिए अल्लाताला से दुआ करनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की बीवी गर्भवती हो तो मां समेत बच्चे के स्वास्थ्य के सलामती की दुआ करनी चाहिए।
उसके लिए नीचे दिए गए तरीके से दुआ पढ़नी चाहिए। इसके बारे में मौलवी से जानकारी ले लेनी चाहिए। ऐसा करने से अलौद नेक और मां-बाप की बरकत देने वाल पैदा होगा। दुआ करने का तरीका इस प्रकार है-
- इस दुआ को शौहर द्वारा ही किया जाना चाहिए। बीवी उसी स्थिति में करे यदि शौहर की कोई खास मजबूरी हो। इसे दिन में किसी भी वक्त किया जा सकता है, लेकिन इसकी शुरूआत शुक्रवार के दिन को ही करना चाहिए।
- सबसे पहले घर के किसी साफ-सुथरे और एकांत स्थान वर एक सफेद चादर बिछाएं। अगर वुजू में नहीं है तो ताजा वुजू बना लें। नमाज पढ़ने के अनुसार उसपर बैठ जाएं।
- वैठने के बाद पहले बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढें। फिर इस इस्म-ए-आजम ‘या जब्बारु’ को 3000 मर्तबा पढें। इसे पढ़ने से पहले और अंत में दारूदे शरीफ सात-सात मर्तबा अवश्य पढ़ें।
- दुआ पढ़ने के बाद सबसे आखिर में तीन बादाम पर दम करें यानी फूंक मारें।
- शौहर को चाहिए कि दुआ के तुरंत बाद एक बादाम बीवी को खिला दे और बाकी दो बादाम खुद खा ले। उसके बाद वीवी की खिदमत करे और उसके साथ प्यर भरी मीठी-मीठी बातें करते हुए जन्म लेने वाले बच्चे की तारीफ करे।
- ठीक इसी तरह से 11 रोज तक रोजान इस दुआ को पढ़ना चहिए। हर रोज एक बादाम बीवी को खिलाएं और दो-दो बादाम दम कर खुद खाते रहें।
- इस दुआ को करने वाले दंपति को इंशा अल्लाह ताला की दुआ से नेक औलाद के रूप में लड़का ही होगा।
- गौरतलब है कि किसी हाल में अगर ख्वातीन अगर इस दुआ को कर रही है, तो उन्हें अपने हैज या माहवारी की हालत में कतई नहीं करे।
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Mere shohar meresath nahi rehte or mei 3mahina hamal se hu mujhe pehle ek beti hai alhumdullilah ab ek bete ki khwaish rakhte hu please app koi dua bataye, meharbani hogi sath kheriyet se Beta hojaye
1 mahine hogaya he uske liye Ap koi wazifa bata dijye