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हमल की हिफाजत की दुआ – Hamal Ki Hifazat Ki Dua
हमल की हिफाजत की दुआ – Hamal Ki Hifazat Ki Dua, हमल किसी स्त्री के पेट में बच्चे का होना कहलाता है। इसे बोलचाल की भाषा में पांव भारी होना या गर्भावस्था भी कहा जाता है। मुस्लिम समाज की ख्वातीनें अपने हमल की हिफाजत के लिए काफी सतर्क रहती हैं।
हर औरत चाहती है कि वह हमल के दौरान अच्छा महसूस करे और मातृत्व का सुख मिले। इस कारण गर्भ में पलने वाले अजन्मे शिशु की रक्षा के लिए तरह-तरह के टोटके अपनाती है। परिवार के मुख्य सदस्य भी उन्हें दूसरों की नजर लगने से बचाकर रखते हैं।
हमल की हालत में औरत अल्लाताला से अपने हमल की हिफाजत करने का वजीफा पढ़ती हैं। इस संदर्भ में मौलवियों द्वारा हमल की हिफाजत का नक्श या हमल की हिफाजत का तावीज पढ़ने का भी सलाह दिया गया है।
हिफाजत-ए-हमल
हमल में औरत का अत्यधिक प्रसन्न होना और मां बनने की खुशी को लेकर उत्साहित बने रहना स्वाभाविक है। इसकी अनुभूति सिर्फ एक मां ही कर सकती है। मन में सुखद एहसास बना रहना चाहिए।
इस दरम्यान बर-बीमारियों से बचना चाहिए। डाक्टरी सलाह और घरेलू कामकाज के दौरान वैसे कामकाज से बचना चाहिए जिनसे शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुंचता हो।
उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से बचने और निगेटिव सोच या बात-व्यवहार से बचने की सख्त हिदायत होती है। अल्लाह की दुआ करने के लिए नियमित नमाज पढ़ने को कहा जाता है। इस सिलसिले में उन्हें कुरानी वजीफा निम्न तरीके से पढ़ना चाहिए-
- सुबह सूर्योदय के ठीक पहले अपने बिछावन पर या फर्श पर साफ चादर बिछा लें और लाल रंग का कच्चा धागा लें।
- अपने सिर से लेकर एड़ी तक धागे की नाप लें और ताजा वजू बनाकर उसपर नमाज पढ़ने के तरीके के अनुसार बैठ जाएं।
- उसके बाद बिस्मिल्लाह हिरहमान इब्राहीम पढ़ें। इसके बाद दारूद शरीफ का 11 बार पढ़ें।
- फिर वजीफा अस-सबूरु ला इलाहा इल्लाल्लाहु मुहम्मद रसूलुल्लाह तीन मरतबा पढ़ें। उसके बाद धागे के एक सिरे पर गांठ लगा दें और उसपर दम करें।
- इसी तरह से तीन बार फिर वजीफा पढ़ें और धागे में कुछ दूरी पर फिर गांठ लगाएं।
- ऐसा करते हुए अपने अंदाज से धागे में समान दूरी पर सात गांठ लगाएं।
- अंत में दारूद शरीफ को सात मरतबा पढ़ें और गांठ लगे धागे को औरत अपनी कमर में लपेटकर बांध लें। धागा बांधने के बाद अल्लाताल से अपने हमल के हिफाजत की दुआ करें।
- इस वजीफे को रात में सोने से पहले भी करें। यह वजीफा स्वयं या उसका शौहर या फिर परिवार का निकटतम सदस्य भी कर सकता है।
ताबीज से हमल की हिफाजत
हमल की स्थिति में औरत की हर तर से हिफाजत ताबीज से भी की जाती है। इसके लिए जानकार मौलवी से ताबीज बनाने का तरीका पता कर लें या फिर बना-बनाया ताबीज धर्मिक सामान के बिक्री की दुकान से खरीद लाएं। ताबीज बनाने का तरीका इस प्रकार है-
- रात को सोने से पहले वुजू करने बाद हमल में औरत या कोई दूसरा शख्स लिख सकता है।
- जाफरान को पानी में घोल कर उसकी स्याही बन लें। उसी से सादे कागज पर ताबीज को लिखा जाता है।
- कुर’आन-ए-करीम की सूरह 19, सूरह मरियम की आयत 12 को किसी पाक साफ और सफेद 2 कागज के टुकड़ों पर 1-1 मर्तबा लिख लें।
- वे आयतें इस प्रकार हैंः- या याहया खुजि-अल-किताबा किव्वतिना व-अतयानाहु-अल हुक्मा सबिय्यान।
- दूसरा सुरह मरयम की आयत 12 है- ऐ याहया किताब को मजबूती से पकड़, और हमने उसे उसे बचपन ही में हिम्मत आता की।
- दोनों को अलग-अलग सादे कागज पर लिखें। आगले रोज सुबहर पहले वजीफा लिखे कागज के टुकड़े को पाक साफ पानी में घोल लंे और उस औरत को पिला दें।
- दूसरे कागज को उस औरत के दाएं बाजू पर बांध दें। ध्यान रहे किस हमल की ताबीज के लिए इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार करना है।
- इसके साथ ही याद रहे कि हामिल औरत नमाज की पाबन्दी भी रखें। साथ ही खवातीन चाहे तो हमल के दौरान इस आयत का रोजाना पांच बार पढ़ भी सकती हैं।
बाहरी और भीतरी नुकसान से हिफाजत
हमल के दरम्यान औरत को हर तरह के हिफाजत की जरूरत होती है। वह स्वयं के साथ-साथ गर्भ में बच्चे की भी सुरक्षा करती है। हमल के साथ उसका भावनात्मक जुड़ाव इस कदर हो जाता है कि वह कई बार खुद से ज्यादा उसकी चिंता करने लगती है।
ऐसी औरतों को काला जादू, टोना-टोटका और निगेटिव एनर्जी वाली बातें, स्थान या लोगों से से बचना चाहिए। साथ ही दुर्घटना आदि को लेकर सतर्क रहना चाहिए।
डाक्टरी सलाह और परिवार में बुजुर्गों या धार्मिक गुरूओं की हिदायतों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमल में हिफाजत का वजीफा नीचे दिए तरीके के अनुसार अमल करना चाहिए।
- हमेशा सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ने की आदत बनाएं। रोजाना सुबह उठकर पहले फ्रेश वजु कर लें।
- कुरान के अनुसार अल्लाताला को याद करने का अल-इखला कर की शुरूआत कर इसे कुल तीन बार करें।
- उसके बाद अल फलाक को भी कुल तीन बार करें। और फिर तीन बार अल-नास करें।
- ये सारे अमल सुबह और शाम दोनों वक्त में पूरे हमल के दौरान तबतक करते रहें जबतक की बच्चे का जन्म नहीं हो जाए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उसका शौहर इसे कर सकती है।
- तीनों वजीफे को बिस्मिल्लाह रहमानीर रहीम के साथ पढ़ा जाना चाहिए। जैसे अल इखला है-
- क्युल हुवाल्लाहु अहद। अल्लाहु समाद, लाम यालिद वा लाम यूलादा। वा लाम याकुम लाहु कुफुवान अहाद
- अल फलाक- क्युल अ उथु बिरब्बिल फलाक। मिन शार्री मा खलाक।
वा मिन शार्री घासिकिन इता वकाब। वा मिन शर्रीन-नफ्फाताती फिल उकाद। वा मिलन शर्री हासिदिन इथा हसद।
- अल नास- क्युल अ उथु बिरब्बिन नास। मलिकिन-नास। इल्लाहिन नास। मिन शर्रील वासवासिल खान्नास। अल्लाथी युवासविसु फी सुदूर इन नास। मिनल जिन्नती वान्नास।
विशेषः शादी के बाद हर लड़की को मां बनने की ख्वाहिस पूरी करने के लिए हमल का बहुत ही आसनी से पढ़ा जाने वाला हर नमाज के बाद 111 दफा जरूर पढ़ना चाहिए। इन्हें पढ़ने से गर्भ की सुरक्षा के अतिरिक्त औरते शारीरिक सुंदरता में भी निखार आता है।
उनका बच्चा जन्म देने के दौरान होने वाली तकलीफों के सहन की शक्ति आ जाती है। उनका निगेटिव एनर्जी से बचाव हो जाता है और आत्मबल मौजूद होता है। वे हैं- 1. या हय्यायू क्याय््युम 2. या हय्यायु या क्याय्यूम।
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