नजर उतारने की दुआ

नजर उतारने की दुआ

Nazar Utarne Ki Dua

नजर उतारने की दुआ – Nazar Utarne Ki Dua, बुरी नजर अर्थाता ईष्र्या की भावना किसी के लिए भी बेहद खराब और नुकसानदायक हो सकती है। इसके शिकार कोई भी अच्छे गुणवाले आकर्षक व्यक्ति हो सकते हैं।

खासकर सुंदर लड़की, हंसता-खेलता बच्चा, सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत करते दंपति, नवविवाहित जोड़ा, मोहब्बत की गिरफ्त में प्रेमी युगल इत्यादी बुरी नजर के अक्सर शिकार हो जाते हैं।

नजर उतारने की दुआ

नजर उतारने की दुआ

बुरी नजर का अर्थ नकारात्मक एनर्जी से भी है, जिससे बुरी शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं। कुरआन में इससे बचाव की कई आयतें दी गई हैं, जिन्हें नियम से पढ़कर बेअसर किया जा सकता है। इसे ही सामान्य बालचाल की भाषा मंे नजर उतारना कहते हैं। 

बुरी नजर से बचने की दुआ

बुरी नजर से बचने की दुआ, यदि किसी को बुरी नजर लग गई हो तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस बला को दूर करने के लिए बुरी नजर की दुआ को पढ़ें, जो कुरआन के सहीह अल-बुखारी 3371 में फरमाया गया है। यह बच्चों पर गंदी और बड़ी से बड़ी बुरी नजर उतारने के लिए आजमाया हुआ नुस्खा है। कुरआने पाक से ली हुई बेहद मुजर्रब आयत है। यह हदिस इस प्रकार हैः-  

इब्ने अब्बास (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि, रसूलअल्लाह अल्लाह से हुसैन व हसन (रजी अल्लाहु अन्हु) के लिए तलब किया करते थे और फरमाते थे कि “तुम्हारे बुजुर्ग दादा इब्राहिम (अलैहि सलाम) भी इस्माइल और इस्हाक (अलैहि सलाम) के लिए इन्ही कलीमात के जरिये अल्लाह की पनाह माँगा करते थे।”

हदिसः अवजू बि-कलिमातील्लाही तमात्ति मीन कुल्ली शैतानींन व हम्मातींन वा-मिन कुल्ली अयेनिन लामातिन

अर्थात मैं पनाह मांगता हूं अल्लाह की पुरे पूरे कलिमात के जरिए, हर शैतान से और हर जहरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचाने वाली नजर-ए-बद्द से।

इसे 11 बार पढ़कर जिस किसी की नजर उतारनी हो उसपर दम करें। ऐसा जुम्मे की नमाज के बाद लगतार सात दिनों तक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वैसे बच्चा जबतक बुरी नजर से बेअसर नहीं हो जाए तबतक इसे पढ़ें। इसके लिए पहले वजू बनाना जरूरी है।

हदिस को पढ़ने से पहले और आखिर मंे तीन-तीन मर्तबा दुरूद-ए-पाक को अवश्य पढ़ें। ऐसा करने पर इंशा अल्लाह की मेहरबानी से बुरी नजर से निजात मिल जाती है। अंत में बुरी नजर से पीड़ित बच्चे या शख्स पर फूंक मारें। इसे किसी मौलवी द्वारा भी करवाया जाता है। 

खवातीन को सख्त हिदायत दी गई है कि वे अपनी माहवारी के दौर इस आयत की तिलावत नहीं करें। 

बुरी नजर बेअसर का वजीफ

 वैसे तो बुरी नजर से बचाव के लिए इंसान हर तरह की कोशिशें करता है। नजर लगने का असर बच्चे और बड़ी उम्र की शख्स पर होता है। इस बारे में ऐसी मान्यता है कि बुरी नजर किसी बुरे इंसान की नहीं होती है,

बल्कि गलत नीयत से देखने पर भी अक्सर नजर लग जाती है।  इससे पीड़ित बच्चा शारीरिक तकलीफ झेलता है। वह दूध पीना छोड़ देता है। अचानक से बुखार हो जाता है। जोर-जोर से रोने लगता है। 

 बच्चे को नजर उतारने के लिए औरतें घरेलू उपाय भी करती  हैं। जैसे कि वे किसी चाकू को गर्म कर उससे फिर बच्चे की दूध पीने वाली बोतल को दाग देती हैं। कोई मां अपने बच्चों के पैरों की मिट्टी से और मिर्ची का टोटका करती हैं, तो कुछ मांएं मिर्च को बच्चे के सिर पर घुमाकर आग में जला देती हैं।

इन घरेलू उपायों से बच्चे की नजर कुछ दिनों के लिए ही उतर पाती है। उसकी पक्की नजर उतारने के लिए वजीफा ही काम आता है। इस वजीफे की बरकत से बच्चा हर बुरी नजर से महफूज रहता है। इसके लिए किया जाने वाला अमल अकेले में औरत के द्वारा ही किया जाता है। इस दौरान कोई भी पास में नहीं होना चाहिए।

अमल को सुबह या शाम के वक्त किया जाता है। इसके लिए पढ़ी जाने वाली आयत के बारे मे पहले किसी जानकार मौलवी से समझ लेना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि इसका मकसद हमेशा नेक होना चाहिए। यदि महवारी का समय हो तो इसके बाद अमल करना चाहिए।

बड़ों पर बुरी नजर

कई बार युवा शख्स मानसिक उलझनों से घिर जाता है। उसके कामकाज पर भी असर करता है। ऐसा बुरी नजर के कारण ही होता है। विवाहित जोड़े को यदि बुरी नजर लग जाए तो उनके बीच शिद्दत की मोहब्बत कायम नहीं हो पाती है। इनके लिए नजर उतारने के वजीफे से उपचार किया जाता है।

हमंे  हमेशा नेक निगाहों से देखने वाले प्राफिट मोहम्मद सलाल्लहु अलाही वासल्लाम हमारी हर दुआ कबूल कर लेते हैं। जब कभी आपसे ईष्र्या करने वाले दोस्त या कोई रिश्तेदार आपकी किसी उपलब्धी पर खुशी जाहिर नहीं करता है और माशा अल्लाह अल्हमदुलिल्लाह कहे बगैर चला जाता है।

तब समझ लें कि आप बुरी नजर से प्रभावित हो चुके हैं। नवविवाहिता की सुंदरता को देखकर कोई औरत अगर ऐसी बात करे और उसमें मीनमेख निकालते हुए नकारात्मक बातें करने लगे तो उसे सावधान हो जाना चाहिए। ऐसे में तुरंत बुरी नजर की दुआ पढ़नी चाहिए। इसका तरीका ऊपर बताए गए अनुसार ही है।

जब आप दुआ की आयत पढ़ने की शुरूआत करेंगे, तब आपको इसका असर धीर-धीरे अनुभव होगा। आप भीतर से तरोताजा महसूस करेंगे। आत्मविश्वास जागृत हो जाएगा। आंखों में चमक आने लगेगी। उसके बाद जब आपसे ईष्र्या करने वाला व्यक्ति मिलेगा तब उसकी नजरें झुकी होंगी। 

शैतानी निगाहों से बचाव

कुछ निगाहें शैतानी असर करती हैं। खासकर हमेशा बुरा चाहने वाले दुश्मन की शैतानी निगाहें काले जादू की तरह अपनी चपेट में ले लेती हैं। इसका असर तेजी से होता है। शारीरिक क्षमता में कमी आने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसके लिए शैतानी निगाहों की दुआ करनी चाहिए।

कुराआन में इसका सबसे अच्छा वजीफा हदिस में दिया गया है। उसमें बताए गए वजीफ में सुराह अल-फलाक और सुराह अन-नास के साथ सुराह इखलास को अमल करने की सलाह दी गई है।

अमल के लिए पीड़ित व्यक्ति द्वारा सुबह और शाम में तीन-तीन बार दिए गए वजीफे को पढ़ना चाहिए। उसके बाद दम करें। ऐसा तबतक करना चाहिए जबतक कि पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाए।

वजीफा के समय दम करने यानी फूंक मारने के लिए एक ग्लास पानी रखें। दम उसी पर करें। बाद मंे वही पानी पीड़ित को पिल दें। जरूरत के अनुसार मौलवी से मिलकर ताबीज भी बनवाया जा सकता है।  

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