मोहब्बत वापस पाने का वजीफा

मोहब्बत वापस पाने का वजीफा

मोहब्बत वापस पाने का वजीफा, प्यार, इश्क या मोहब्बत अगर अल्लाह का दिया हुआ एक बेहतरीन तोहफा है, तो यह सबको प्यारा होता है। हर कोई इसे पाना-अपनाना चाहता है। इसे बनाना आसान होता है, जबकि इसे संभालना और सहेजना हर किसी केे बूते की बात नहीं होती।

यानी कि प्रेमियों के लिए प्यार के रिश्ते को  निभाने के लिए आपसी विश्वास पैदा करनी होती है, तो इसकी नाजुक डोर को टूटने से भी बचाना होता है। प्यार मिल जाता है, लेकिन इसके खो जाने का खतरा भी बना रहता है।

मोहब्बत वापस पाने का वजीफा

मोहब्बत वापस पाने का वजीफा

भावनात्मक भरोसा और अनोखे एहसास से मिला हुआ प्यार अगर गुम हो जाए तो उसे पाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं। ऐसी प्रेमी या प्रेमिका के लिए जिंदगी में खोए प्यार को पाना ही एकमात्र मकसद बन जाता है। 

मियां-बीवी के आपसी मोहब्बत के खोने की भी आशंका बनी रहती है। कब उनके बीच कोई दूसरी औरत का प्रवेश हो जाए कहना मुश्किल होता है।

इस हालत में उन्हें खोए मोहब्बत को वापस पाने के लिए अपनी सुविधानुसार विभिन्न इस्लामी वजीफा या दुआ के उपाय सिलसिलेवार तरीके से करना चाहिए।  सिलसिलेवार तरीका निम्नलिखित दिया गया हैः-

पहली दुआ की अमलः 

    • सबसे पहले खुद को पाक-साफ करने के लिए स्नान करें और उसके बाद वजू कर लें।
    • उसके बाद दुरूद-ए-शरीफ को 11 बार पढ़ें।
    • अपने प्यार के रूप मंे पति, पत्नी प्रेमिका का कुछ पल के लिए दिल और दिमाग से स्मरण करें। आंखें बंद कर लें और 1000 मरतबा ‘ बिस्मिल्लाह-ए-अलवासाओ जल्लाह जुल्लाहल्लुहू’ को पढ़ें। 
    • इस आयत को पढ़ने के बाद एक बार फिर से 11 बार दूरूद-ए-शरीफ पढ़ें।
    • इसके साथ ही अल्लाह से दोनों हाथ फैलाकर अपना प्यार वापस करने की दुआ करें। इस उपाय को लगातार सात दिनों तक करें। किसी भी दिन का समय कोई भी अपनी सुवधा के अनुसार चुन सकते हैं।
    • पत्नी या प्रेमिका को भी इस दुआ का बेहतर परिणाम मिलता है. लेकिन उसे माहवारी के दौरान इसकी शुरूआत नहीं करनी चाहिए।  

दूसरी अमल का वजीफाः प्रेमी युगल और पति-पत्नी को अपने खोए प्यार वापस करने के लिए कई तरह के वजीफा दिए गए हैं। यहां बताए गए वजीफे से पति-पत्नी आपसी प्रेम को प्रगाढ़ बनाते हुए रिश्ते को और मजबूत बना सकते हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए किसी जानकार मौलाना से क्रम से किए जाने वाले तरीके के बारे में अच्छी तरह से जानकारी का होना जरूरी होता है।

    • इस वजीफा को करने का खास दिन वृहस्पतिवार को चुनें। समय रात को होना चाहिए। आधी रात को उठें और अल्लाताला की इबादत करंे। कोरा कागज और कलम लेकर बैठें।
    • वजीफा के लिए दिए गए आयत को स्पष्ट उर्दू के अक्षरों में लिखें। इस पंक्तियों को तीस बार लिखें और हर बार अल्लाह से नीचे दिए गए दुआ मांगें- ‘‘ अल्लाहुम्मा अतिफ्फु कल्बा ( प्रिय यानी प्रेमी या प्रेमिका का नाम ) बिनती  ( प्रेमी या प्रेमिका की मा का नामं) आला (प्रमी या प्रेमिका के वालिद का नाम) ‘’
    • इस इस वजीफे के तहत किए जाने वाली दुआ को कम से कम सात गुरुवार को करना चाहिए। इसका असर तीसरे बार से ही दिख जाएगा और खोया हुआ प्यार फिर से जाग जाएगा। 

तीसरी अमल का वजीफाः कहते हैं कि रूठे रब को मनाना आसान है, रूठे महबूब को मनाना मुश्किल! वैसे कुरआन में इसके लिए दिया गया मोहब्बत को वापस पाने का वजीफा बेहद मुफीद है। अगर अल्लाहताला से मोहब्बत के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तहे दिल से शिद्दत के साथ दुआ करें तो निश्चित तौर पर आपका महबूब या महबूबा आपकी जिंदगी में हमेशा के लिए बने रहेंगे और कोइ भी ताकत आप दोनों को जुदा नहीं कर पाएगी। इसे क्रम से इस प्रकार इस्तेमाल करेंः-

    • जुमेरात वाले दिन फजिर की नमाज के बाद सुन्नाह और फर्ज के बीच में वजीफा को पढ़ें।
    • शुरूआत 21 मरतबा दुरूद शरीफ पढ़कर करें।
    • डसके बाद इस दुआ को पढ़ें- वा अल कयतु अलायका महाब्बातें मिन्ने वाली तुसाना। अ‘ला आयेनी इस तमशी उख्तुका फतकुलु हाल अदुल लुकम अ‘अला मन याक फुलुहु फर्ज ज‘अका इलो उम्मीको की ताकार्रा। अयनुह वाला ताहजाना वाकतलता नफसान फनाज्जायंका मिना। अलघम्मी वफा तन्नका फुतूनंन फाला विस्टा सिनीना चार अहली मदयाना सुन्मा जिता। अला कुदररिन या मूसा वास तंना अकतुका लिंफासई।
    • इसके पढ़ने के बाद एक बार फिर से 21 मरतबा दुरूद शरीफ पढ़ें। 
    • दोनों हाथ फैलाकर अल्ला से प्यार वापस जिंदगी में लाने की दुआ करें। इंशा अल्लाह आपकी दुआ जल्द से जल्द कुबूल होगी और आपके महबूब या महबूबा की भरपूर मोहब्बत मिलेगी।

मोहब्बत पाने का चैथा अमलः इस दुनिया में हर कोई चाहता है कि उसे सच्ची मोहब्बत मिले, जबकि सच्ची मोहब्बत बहुत मुश्किल से मिल पाता है। यही कारण है कि कोई भी इंसान सच्ची मोहब्बत को खोना नहीं चाहता है। फिर भी सामाजिक और पारिवारिक परिस्थतियों की वजह से पाक-साफ मोहब्बत खो जाती है।

उसके बाद ही इसकी अहमियत का पता चलता है। इसलिए अपनी सच्ची मोहब्बत को पाने के लिए इस अमल को पूरी तैयारी के साथ करना चाहिए। तरीके में जरा सी भी चुक का भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

  • इस अमल के तरीके को अच्छी तरह से समझने के लिए मौलवी साहब से संपर्क करें।
  • अमल के लिए माह का कोई भी दिन हो सकता है, लेकिन समय आधी रात का होना चाहिए। शुरूआत से पहले ताज वजू कर लें। उसके बाद इश की नमाज पढ़ें। 
  • दुरूद-ए-पाक को 22 बार पढें। उसके बाद मोहब्बत को पाने की दुआ को 501 बार पढ़ें। दुआ है-अल्लाहुम्मा जालानी मेहबूबीन फि मिलते भी हक्की या बुद्दुहू या बुद्दुहू। 
  • इसे पढ़ने के बाद सुराह मुजंम्मिल को 36 बार पढ़ें। और फिर अपने महबूब या महबूबा का नाम  101 बार लें।
  • अमल का अंत दुरूद-ए-पाक के फिर से 22 बार पढ़कर करें, लेकिन इससे पहले अल्लाह से दोनों हाथ फैलाकर मोहब्बत की दुआ मांगें।
  • इस दुआ को प्रेमी या प्रेमिका के अतिरिक्त शौहर या बीवी भी कर सकते हैं। औरतों को इसमें थोड़ी अलग से सावधानी बरतते हुए अपनी माहवारी के समय का ध्यान रखना होता है। इस दौरान अमल नहीं किया जाना चाहिए।
  • इस दुआ के असर से न केवल मनपसंद जीवनसाथी मिल जाता है, बल्कि निकाह में होने वाली देरी भी खत्म हो जाती है।

किसी के दिल में मोहब्बत डालने का दुआ

Review मोहब्बत वापस पाने का वजीफा.

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