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शक की बीमारी के इलाज की दुआ
Shak Ki Bimari Ke Ilaj Ki Dua
शक की बीमारी के इलाज की दुआ – Shak Ki Bimari Ke Ilaj Ki Dua, शक अर्थात वहम ऐसी बीमारी की तरह है, जिसका असर इंसान के सीधे दिमाग पर पडता है और इससे आपसी रिश्ते तबाह और बर्बाद हो जाते हैं। खासकर जब इसका बीज जब दांपत्य जीवन में पड जाए तब इस कारण आपसी मधुरता गायब हो जाती है।
ंिमंया – बीवी अविश्वास से घिरे रहते हैं। वे हमेशा एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं और इसके परणिामस्वरूप मन में बदले की भावना भी आ जाती है। वैसे वहम के कइ कारण होते हैं, जिसे पता लगाना आसान नहीं होत है। इस हाल में इंसान मनोरागी बनकर रह जाता है। मन में तरह-तरह के सवाल और चिंताएं आ जाती हैं।
किसी को अपने रहन-सहन की आदतों को लेकर भी वहम होता है, तो कोई भूत-प्रेत या जादू-टोने और टोटक की चपेट में आने का वहम भी पाल लेता है। इन सबसे एक ही इलाज है अल्लाताला से दुआ करना। उनके लिए पांचों वक्त का नमाज पढने के साथ-साथ कुछ विशेष वजीफे को अमल में लाना है।
वहम को दूर करना
अगर किसी औरत को अपने शौहर पर किसी दूसरी औरत के साथ नाजायज संबंध होने का शक है, तो सबसे पहले तो इसकी तहकीकात कर सच्चाई का पता लगाना चाहिए। जब सच का पता लगे तब इस बारे में शौहर से खुलकर बात करनी चाहिए।
यदि इसमें सच्चाई नहीं मिले फिर भी मन में शक का कीडा कुलबुलता रहे। तब इस कारण उसकी कुछ आदतों में बदलाव आ जाती है। जैसे वह खुद को पाक-साफ समझने के लिए बार-बार वजू करने और बालों में तेल लगाने के आदत की शिकार हो जाती है।
ऐसा कर अपने शौहर के खिलाफ नाराजगी दिखती है। इस वहम में शौहर के साथ बहस होने के साथ-साथ उसके विरूद्ध बदजुबानी भी निकल आती है। इससे बचने के लिए वैसी वहमी औरत को किसी मौलवी साहब के पास जाकर शक दूर करने के उपाय की जानकारी करना चाहिए।
उनके द्वारा बताए गए वजीफे या दुआ का पाक नीयत के साथ अमल करना चाहिए। यह नहीं भूलें कि एक वहमी इंसान पागलपन की हद तक जा सकता है। इसके उपचार इस प्रकार है-
- रोज सुबह उठकर वजू करने के बाद पहली नमाज समय पर अता करने की आदत डाले।
- उसके बाद नेक नीयत के साथ दुरूद शरीफ 21 बार पढंे।
- 150 बार या कुद्दूस अल्फाज का पूरी शिद्दत के साथ पढंे।
- अंत में एक बार फिर दुरूद शरीफ 21 बार पढें। उसके बाद अल्लाह मियों से अपने वहम के बारे में जिक्र करें और इसे दूर करने की मन्नत मांगें।
- इस अमल को तबतक रोजाना करते रहें जबतक कि आपका वहम दूर नहीं हो जाए और शौहर पर जरा भी शक नहीं रहे।
वहम का रूहानी उपचार
किसी भी तरह के वहम का कुराआन की आयत से रूहानी उपचार संभव है। वहम चाहे जैसा भी हो, जिसके खिलाफ हो या फिर जिस किसी कारण से हो उसके उपचार के लिए जानकार मौलवी से संपर्क करना चाहिए।
उनके द्वारा बताए गए आयत का वजीफ पढना चाहिए। वजीफा को रोजाना 4896 बार पढने से पहले हुसूल-ए-मकसद और अवाल ओ आखिर का 11-11 मरतबा तथा 11 बार दुरूद शरीफ को पढना चाहिए।
वहम की परेशानी अगर बहुत अधिक बढ गई हो। यानी कि उसका असर जुनूनी बना डाला हो। इसकी वजह से दिन में तरह-तरह के ख्याल आते हों। डरावने सपने दिखते हैं। नींद बहुत आती हो तो इसके लिए बताए गए तरीके को 21 दिनों तक करें। निश्चित तौर पर समस्या से निजात मिल जाएगी।
एक तरबूज लें और उसके गूदे से एक ग्लास पानी निकाल लें। उसके साथ उतना ही गाय का दूध के साथ एक बडी डली मिश्री को घोल लें। उसे एक बोतल में भरकर रात को चांद की रोशनी मंे घर के छज्जे के साथ लटका दें। सुबह वहम की शिकार व्यक्ति को पिला दें। इस तरह से उसे 21 दिनों तक पिलाते रहें।
शौहर पर शक
अक्सर औरत को अपने शौहर पर शक हो जाता है कि उसका किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है। यदि यह वाकई सच है, तो इस शक को दूर करने का एक ही उपाय है कि शौहर को वापस अपने प्यार मंे दीवाना बना दे।
किसी को भी वापस लाने का जबरदस्त वजीफा को अगर तहे दिल से अमल में लाया जाए तब उसकी वापसी सुनिश्चित है। खासकर शौहर जब इस कारण वापस आता है तो उसे न केवल पछतावा होता है, बल्कि वह आगे की जिंदगी में ताउम्र अपनी बीवी के साथ गुजारने की सौगंध लेता है। इस वजीफे का अमल बीवी के द्वारा किया जाना चाहिए।
किसी जुमेरात की रात दस बजे के बाद इसकी शुरूआत वजू करने और दारूद शरीफ के 11 मर्तबा पढने से की जाती है। इसके साथ ही सुराह लहाब को भी 73 बार पढा जाना चाहिए। कुल 101 बार वजीफे को पढने के बाद पानी पर दम करना चाहिए और उसका आधा सुबह के वक्त खुद पी लेना चाहिए।
बचा हुआ पानी शौहर को पिला देना चाहिए। ऐसा 21 दिनों तक करने से जैसे-जैसे बीवी के प्रति शौहर का प्रेम बढने लगता है, वैसे-वैसे बीवी का शौहर पर से बना शक मिटने लगता है। पढा जाने वाला सुराह तहा की आयत है-
वा-अक्यिातु अलायका महाब्बतें मिन्नी
वालितासन्ना अल्लाह नयाने।
काम में विलंब से वहम
कई बार इंसान कामकाज में बाधा आने या उसमें असफलता मिलने के कारण भी विभिन्न तरह के वहम का शिकार हो जाता है। जैसे किसी की शादी में देरी हो रही हो, या कर्ज से मुक्ति नहीं मिल पा रही हो या फिर बार-बार नौकरी छूट जाती हो। यहां तक मर्दाना कमजोरी का वहम ही क्यों नहीं हो।
इस स्थिति में कुरानी वजीफा अमल में लाया जाना चाहिए। इस वजीफे को अधितर रोजान अमल में तब तक लाया जाता है जबतक कि समस्या का समाधान नहीं हो जाता है।
इसे ऊर्दू में सही अल्फाज के साथ पढा जाना चाहिए। इसे बारे में जानकारी मौलवी से सलाह लेनी चाहिए और इसकी शुरूआत से वजीफे की आयत को कंठस्थ कर लेना चाहिए।
औरतें भी इसे आजमा सकती है, लेकिन उन्हें इसकी शुरूआत माहवारी के तुरंत बाद करना चाहिए और इस दौरान अमल में रोक लगा देना चाहिए। यह वजीफा समस्याओं से निजात दिलवाकर अप्रत्यक्ष तौर पर वहम से छुटकारा दिलाता है।
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नाजायज तालुकात खत्म करने का वजीफा